सैयां भाये कोतवाल नाटक ने मचाया धमाल

क्लासिक मराठी लोक नाटक * सैयां भाये कोतवाल * को प्रशंसित थिएटर कलाकार बसाब भट्टाचार्य के निर्देशन में 14-15 सितंबर 2024 को नई दिल्ली में मंच पर जीवंत किया गया था।

saiyan bhaye kotwal natak 2024

14 और 15 सितंबर को, नई दिल्ली के कलाकारों द्वारा सैयां भय कोतवाल का मंचन एलायंस फ्रांसेज़ डी दिल्ली, लोदी एस्टेट में किया गया। इस प्रदर्शन को बसाब भट्टाचार्य के निर्देशन में पेश किया गया था, और यह संगीतमय हास्य नाटक भ्रष्टाचार, सत्ता के दुरुपयोग और समाज की प्रशासनिक प्रणालियों की आलोचना पर आधारित था। यह प्रसिद्ध मराठी नाटक ‘विछा माझी पुरी करा’ का हिंदी रूपांतरण था, जिसे वसंत सबनीस ने लिखा था और उषा बनर्जी द्वारा हिंदी में अनुवादित किया गया था। यह नाटक न केवल हास्य के तत्वों से सजीव था, बल्कि इसमें तीखा व्यंग्य भी था, जो दर्शकों को समाज के भीतर फैले भ्रष्टाचार के गहरे मुद्दों से जोड़ता था।

नाटक की पृष्ठभूमि और सामाजिक संदर्भ

सैयां भय कोतवाल की कहानी एक साधारण, मगर तीखे सामाजिक संदेश के इर्द-गिर्द घूमती है। यह उस समय के भारतीय समाज की परिपाटियों को दर्शाता है, जहाँ सत्ता में बैठे लोग अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हैं और आम जनता शोषण का शिकार बनती है। यह नाटक विशेष रूप से भ्रष्टाचार और प्रशासनिक अक्षमता के खिलाफ एक मजबूत बयान है। मराठी रंगमंच में अपनी जड़ों के कारण, इस नाटक में स्थानीय परिदृश्यों की झलक मिलती है, जो इसे और भी प्रासंगिक बनाता है। जब इसे हिंदी में रूपांतरित किया गया, तो इसके विषय और कथानक को नई दिल्ली के सामाजिक और राजनीतिक संदर्भ में ढाल दिया गया, जिससे इसकी अपील और बढ़ गई।

प्रदर्शन की कला और रंगमंचीय कौशल

इस नाटक में सबसे प्रभावशाली तत्वों में से एक था इसके कलाकारों की जीवंतता और उनकी प्रस्तुतियों की गुणवत्ता। ध्रुव शर्मा ने महाराज की भूमिका में दर्शकों को अपने हास्यपूर्ण अभिनय से खूब हंसाया, जबकि हवालदार की भूमिका में अनिमेष सिंघल ने अपनी शानदार कॉमिक टाइमिंग से समां बांध दिया। प्रधान की भूमिका में अर्पन अरोड़ा और ऊर्जावान सिपाही की भूमिका में अभिषेक ने अपनी उर्जा से मंच को जीवंत कर दिया। इन सभी कलाकारों ने अपने पात्रों को बेहतरीन तरीके से जीवंत किया और दर्शकों को गहरी हंसी से भर दिया।

चेतना बल्हारा ने मैनवती की भूमिका में अपने शक्तिशाली अभिनय का प्रदर्शन किया, जबकि ऋत्विक मारवाह ने कोतवाल की भूमिका में एक गंभीर और व्यंग्यात्मक दृष्टिकोण से अपनी भूमिका निभाई। सखिया की भूमिका में सौरव भटुरिया ने अपनी शानदार कॉमिक टाइमिंग और आकर्षक मंच उपस्थिति से दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी। इन प्रमुख पात्रों के अलावा, कथावाचक हार्दिक राणा और शीतल मारवाह की जोड़ी ने कहानी को एक साथ जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वेदांत और रिंकी ने पर्दे के पीछे से अपनी आवाज के माध्यम से कहानी में जान डाली, जबकि दिनेश ने हारमोनियम बजाकर और हर्ष ने ढोलक के माधुर्य से नाटक के संगीत को समृद्ध किया। तस्वीरों का श्रेय साहिबा संधू को जाता है I

संगीत और नृत्य: नाटक की धड़कन

इस संगीतमय नाटक में संगीत और नृत्य ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संगीतमय तत्व न केवल मनोरंजन का साधन थे, बल्कि उन्होंने नाटक की भावनाओं और संदेश को गहराई से व्यक्त किया। संगीतकार वेद दीप ने नाटक के संगीत तत्वों का निर्देशन किया, और यह संगीत न केवल मंच पर हो रही घटनाओं को सहारा देता था, बल्कि कहानी के हर मोड़ पर उसे और प्रभावी बनाता था। समकालीन फिल्मी गीतों का समावेश, नाटक को आधुनिक दर्शकों के लिए और भी प्रासंगिक बनाता है। इन गीतों ने नाटक के व्यंग्य को और गहरा किया, जिससे दर्शक कहानी के साथ अधिक घनिष्ठ रूप से जुड़ने में सक्षम हुए।

नाटक में नृत्य की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी। रंगमंच पर प्रस्तुत विभिन्न नृत्य दृश्यों ने नाटक में एक जीवंत स्पर्श जोड़ा। इन नृत्यों को दर्शकों ने बड़े उत्साह के साथ सराहा। नृत्य निर्देशन इतना उत्कृष्ट था कि मंच पर हर नृत्यकला दर्शकों के लिए एक नया अनुभव थी। रंगीन वेशभूषा और लाइटिंग इफेक्ट्स के साथ, नृत्य दृश्यों ने नाटक को और भी मनोरंजक बना दिया।

दर्शकों की प्रतिक्रिया और नाटक की समकालीन प्रासंगिकता

इस नाटक का एक महत्वपूर्ण पहलू यह था कि यह दर्शकों को न केवल हंसाता था, बल्कि उन्हें सोचने पर भी मजबूर करता था। हास्य और व्यंग्य के बीच, नाटक ने गंभीर सवाल उठाए। भ्रष्टाचार और सत्ता का दुरुपयोग आज भी हमारे समाज में एक गंभीर मुद्दा है, और सैयां भय कोतवाल ने इसे अत्यंत सरल और प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया।

दर्शकों ने इस नाटक को बेहद सराहा और कलाकारों के प्रदर्शन की खूब तारीफ की। इस नाटक की समकालीन प्रासंगिकता इसे और भी महत्वपूर्ण बना देती है। भारतीय समाज में आज भी प्रशासनिक भ्रष्टाचार और सत्ता का दुरुपयोग एक बड़ी समस्या है, और यह नाटक इस मुद्दे को हंसी-ठिठोली के साथ उठाता है, जिससे यह अधिक प्रभावशाली बनता है।

नई दिल्ली के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत यह नाटक अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन, संगीत, नृत्य, वेशभूषा और व्यंग्य के कारण एक यादगार अनुभव बना। यह नाटक दर्शकों को केवल हंसी-मजाक में डुबोने का प्रयास नहीं करता, बल्कि यह उन्हें समाज के उन पहलुओं से भी रूबरू कराता है, जिन्हें अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है।


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